भारतीय ऑटो बाजार में हाइब्रिड कारों की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। खासकर उन लोगों के बीच जो बेहतर माइलेज और स्मूद ड्राइविंग अनुभव चाहते हैं, हाइब्रिड टेक्नोलॉजी एक आकर्षक विकल्प बनकर उभर रही है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर हाइब्रिड कारें पेट्रोल या डीजल मॉडल्स की तुलना में ज्यादा माइलेज कैसे देती हैं? इसका जवाब तकनीक में छिपा है, जो इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर के तालमेल से काम करती है।
हाइब्रिड सिस्टम कैसे काम करता है?
हाइब्रिड कारों में तीन मुख्य घटक होते हैं—एक इंटरनल कंबशन इंजन (जैसे पेट्रोल), एक इलेक्ट्रिक मोटर और एक हाई-कैपेसिटी बैटरी। ये तीनों मिलकर कार को चलाने का काम करते हैं। जब कार कम स्पीड पर होती है या ट्रैफिक में चल रही होती है, तब यह पूरी तरह इलेक्ट्रिक मोटर से चलती है। वहीं, जब ज्यादा पावर की जरूरत होती है, तब पेट्रोल इंजन सक्रिय होता है।
माइलेज बढ़ाने वाले चार अहम कारण
1. कम स्पीड पर इलेक्ट्रिक मोड का इस्तेमाल
शहरों में जहां ट्रैफिक ज्यादा होता है और स्पीड कम रहती है, वहां हाइब्रिड कारें पूरी तरह इलेक्ट्रिक मोड पर चलती हैं। इससे फ्यूल की खपत नहीं होती और माइलेज बेहतर बना रहता है।
2. ब्रेकिंग से ऊर्जा की रिकवरी
हाइब्रिड कारें ब्रेकिंग के दौरान ऊर्जा को बर्बाद नहीं करतीं। इलेक्ट्रिक मोटर उस ऊर्जा को बैटरी में स्टोर कर लेती है। इसे ही रीजेनरेटिव ब्रेकिंग कहा जाता है। इससे कार खुद को चार्ज करती रहती है और फ्यूल की बचत होती है।
3. इंजन का स्मार्ट इस्तेमाल
हाइब्रिड सिस्टम इंजन को उसकी सबसे प्रभावी स्थिति में चलने देता है। यानी ना बहुत धीमे, ना बहुत तेज। इससे इंजन पर कम दबाव पड़ता है और फ्यूल की बर्बादी नहीं होती। एक्सेलरेशन या चढ़ाई के समय इलेक्ट्रिक मोटर इंजन का साथ देती है।
4. एसी और अन्य सिस्टम का कम लोड
हाइब्रिड कारों में एसी, हीटर और अन्य इलेक्ट्रिक सिस्टम को चलाने में इलेक्ट्रिक मोटर मदद करती है। इससे इंजन पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ता और फ्यूल की खपत कम होती है।
क्या भारत में हाइब्रिड कारें बेहतर विकल्प हैं?
अगर आप रोज़ाना शहर में ड्राइव करते हैं और माइलेज को प्राथमिकता देते हैं, तो हाइब्रिड कारें आपके लिए एक समझदारी भरा विकल्प हो सकती हैं। Toyota, Maruti और Honda जैसी कंपनियां अब भारत में कई हाइब्रिड मॉडल्स पेश कर रही हैं, जो न सिर्फ माइलेज में बेहतर हैं बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी फायदेमंद हैं।

