चांदी (Silver Price Today) की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है और विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह सोने (Gold Price) को भी पीछे छोड़ सकती है। ग्लोबल मार्केट में चांदी की मांग बढ़ रही है, जबकि चीन में इसका भंडार एक दशक में सबसे कम स्तर पर पहुंच गया है। यही वजह है कि 2026 तक चांदी के दाम नए रिकॉर्ड बना सकते हैं।
चीन में इन्वेंट्री की कमी
शंघाई फ्यूचर्स एक्सचेंज से जुड़े गोदामों में चांदी का स्टॉक हाल ही में 2015 के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, शंघाई गोल्ड एक्सचेंज का कारोबार भी 9 साल में सबसे कम रहा। अक्टूबर में चीन से करीब 660 टन चांदी का निर्यात हुआ, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे साफ है कि मांग बढ़ रही है लेकिन आपूर्ति सीमित है।
विशेषज्ञों का अनुमान
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी हेड अनुज गुप्ता ने कहा है कि इन्वेंट्री की कमी चांदी की कीमतों के लिए सकारात्मक संकेत है। उनका अनुमान है कि 2026 तक चांदी $80 से $100 प्रति औंस तक जा सकती है। भारतीय बाजार में इसका मतलब है कि चांदी की कीमतें लगभग ₹3,14,000 प्रति किलो तक पहुंच सकती हैं।
चांदी बनाम सोना
पिछले एक साल में चांदी की कीमतों में 80% तक की बढ़ोतरी हुई है। यह उछाल सोने के साथ-साथ आया, लेकिन अब चांदी की तेजी ज्यादा मजबूत दिख रही है। निवेशकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में चांदी सोने की तुलना में बेहतर रिटर्न दे सकती है।
ग्लोबल फैक्टर्स
टीडी सिक्योरिटीज के कमोडिटी रणनीतिकार डैनियल घाली ने कहा कि अगर अमेरिका चांदी पर टैरिफ लगाता है, तो वहां पहुंच चुकी चांदी की सप्लाई प्रभावित होगी। इससे कीमतों पर और दबाव बढ़ सकता है। वहीं, शंघाई में निकट अवधि की चांदी की कीमतें बाद की तारीख वाले अनुबंधों से ऊपर चली गई हैं। इस पैटर्न को बैकवर्डेशन कहा जाता है, जो अल्पकालिक संकट का संकेत देता है।
निष्कर्ष
निवेशकों के लिए यह समय चांदी पर नजर रखने का है। लगातार बढ़ती मांग, घटती इन्वेंट्री और ग्लोबल सप्लाई चेन की चुनौतियां चांदी को सोने से आगे ले जा सकती हैं। अगर अनुमान सही साबित होते हैं, तो 2026 तक चांदी निवेशकों को बड़ा फायदा दे सकती है।

