मार्केट रेगुलेटर SEBI ने देश के दिग्गज स्टॉक ब्रोकर प्रभुदास लीलाधर प्राइवेट लिमिटेड पर सख्त कार्रवाई की है। सेबी ने कंपनी को 15 दिसंबर 2025 से 7 दिनों तक किसी भी नए क्लाइंट को जोड़ने या नया कॉन्ट्रैक्ट लेने से रोक दिया है। यह कदम क्लाइंट फंड्स के दुरुपयोग और कई गंभीर अनियमितताओं के कारण उठाया गया है। मौजूदा क्लाइंट्स के साथ कंपनी का कामकाज जारी रहेगा।
जांच में क्या सामने आया?
एनएसई, बीएसई और एमसीएक्स के साथ हुई संयुक्त जांच (अप्रैल 2021 से अक्टूबर 2022) में कई गड़बड़ियां सामने आईं।
- जुलाई 2021 में तीन अलग-अलग तारीखों पर क्लाइंट खातों में करीब ₹2.70 करोड़ की कमी पाई गई।
- निष्क्रिय क्लाइंट्स के पैसे समय पर वापस नहीं किए गए।
- मार्जिन रिपोर्टिंग गलत पाई गई, जिसमें ₹55.46 लाख की शॉर्ट कलेक्शन भी शामिल थी।
- एक्सचेंज द्वारा लगाए गए जुर्माने को क्लाइंट्स पर डाल दिया गया और बाद में रिफंड नहीं किया गया।
- पूरी पेमेंट करने वाले क्लाइंट्स की सिक्योरिटीज को गलत तरीके से “अनपेड सिक्योरिटीज अकाउंट” में रखा गया।
- ब्रोकरेज नियम से ज्यादा वसूला गया और KYC अपडेट में देरी हुई।
कंपनी का बचाव और सेबी का जवाब
कंपनी ने दलील दी कि ये चूक तकनीकी या क्लर्कियल गलतियों के कारण हुईं और रकम कुल कारोबार के मुकाबले बहुत छोटी थी। लेकिन सेबी ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि क्लाइंट फंड्स की सुरक्षा सबसे बुनियादी जिम्मेदारी है। रकम छोटी हो या बड़ी, नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
निवेशकों के हित में फैसला
सेबी ने माना कि कंपनी ने बाद में कुछ सुधार किए और रिफंड भी किया, लेकिन बार-बार हो रही चूक को देखते हुए यह अस्थायी प्रतिबंध जरूरी था। 15 से 21 दिसंबर 2025 तक कंपनी कोई नया क्लाइंट नहीं जोड़ सकेगी।
निष्कर्ष
यह मामला दिखाता है कि SEBI Action on Broker निवेशकों की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है। क्लाइंट फंड्स का गलत इस्तेमाल किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। नए लेबर कोड और रेगुलेटरी नियमों के साथ, अब निवेशकों को अपने पैसे की सुरक्षा को लेकर ज्यादा भरोसा मिल रहा है।

