भारत सरकार ने 21 नवंबर 2025 से चार नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं। इनमें वेजेज कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड शामिल हैं। इन सुधारों के साथ अब गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और अस्थाई कर्मचारियों को भी स्थायी कर्मचारियों जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं मिलेंगी।
क्या बदलेगा?
नए नियमों के तहत सभी वर्कर्स को अपॉइंटमेंट लेटर देना अनिवार्य होगा। इससे रोजगार का औपचारिकरण होगा और नौकरी की पारदर्शिता बढ़ेगी। गिग वर्कर्स को अब पेंशन, PF कटौती और ESIC कवरेज मिलेगा। इसके अलावा, सभी कर्मचारियों को इंश्योरेंस और अन्य सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स भी दिए जाएंगे।
न्यूनतम मजदूरी और समय पर वेतन
पहले न्यूनतम मजदूरी केवल कुछ उद्योगों तक सीमित थी। अब कोड ऑन वेजेज, 2019 के तहत सभी वर्कर्स को न्यूनतम वेतन का अधिकार मिलेगा। साथ ही, नियोक्ताओं के लिए समय पर वेतन देना कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया है। इससे वित्तीय स्थिरता और कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा।
स्वास्थ्य और महिला भागीदारी
नए नियमों के अनुसार, 40 साल से अधिक उम्र के सभी कर्मचारियों का सालाना मुफ्त स्वास्थ्य परीक्षण कराना नियोक्ताओं की जिम्मेदारी होगी। महिलाओं को अब रात की शिफ्ट और सभी तरह के काम करने की अनुमति होगी, बशर्ते उनकी सहमति और सुरक्षा उपाय मौजूद हों। इससे महिला कार्यबल की भागीदारी और आय बढ़ने की संभावना है।
ESIC कवरेज
पहले ESIC कवरेज केवल नोटिफाइड क्षेत्रों तक सीमित था। अब इसे पूरे देश में लागू किया गया है। 10 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए यह वैकल्पिक है, जबकि खतरनाक प्रोसेस वाली यूनिट्स में यह अनिवार्य होगा।
गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स
पहली बार गिग वर्क और प्लेटफॉर्म वर्क को कानूनी मान्यता दी गई है। एग्रीगेटर्स को अपने सालाना टर्नओवर का 1–2% हिस्सा सोशल सिक्योरिटी फंड में देना होगा। यह योगदान गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए इस्तेमाल होगा। आधार-लिंक्ड यूनिवर्सल अकाउंट नंबर से ये सुविधाएं पोर्टेबल होंगी और सभी राज्यों में उपलब्ध रहेंगी।
निष्कर्ष
नए लेबर कोड्स से करोड़ों अस्थाई और गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलेगा। यह कदम न केवल कर्मचारियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाएगा बल्कि उद्योगों को भी अधिक लचीला और प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

