सरकार ने New Labour Codes 2025 के तहत कर्मचारियों के लिए एक बड़ा बदलाव किया है। अब ‘परिवार’ की परिभाषा को और व्यापक बना दिया गया है। पहले जहां केवल पत्नी, बच्चे, माता-पिता और अविवाहित बेटियां ही लाभार्थी मानी जाती थीं, वहीं अब इसमें दादा-दादी, सास-ससुर और आश्रित भाई-बहन भी शामिल कर दिए गए हैं। इस बदलाव से लाखों कर्मचारियों को अपने वास्तविक आश्रितों के लिए PF-ESIC Benefits और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ दिलाना आसान होगा।
परिवार की परिभाषा में नया विस्तार
नए नियमों के अनुसार, मातृ पक्ष के दादा-दादी, पूरी तरह आश्रित अविवाहित नाबालिग भाई-बहन और खासतौर पर महिला कर्मचारियों के लिए सास-ससुर को भी परिवार की परिभाषा में जोड़ा गया है। इसका मतलब है कि अगर कोई महिला कर्मचारी अपने ससुराल पक्ष की जिम्मेदारी उठाती है, तो अब वह उन्हें भी नामांकित कर सकती है। यह कदम भारत की पारिवारिक संरचना को ध्यान में रखकर उठाया गया है, जहां कई बार जिम्मेदारी केवल न्यूक्लियर परिवार तक सीमित नहीं रहती।
किन योजनाओं में मिलेगा लाभ?
यह बदलाव EPF, ESIC, ग्रैच्युटी और कार्यस्थल दुर्घटना मुआवजा जैसी सरकारी अनिवार्य योजनाओं पर लागू होगा। हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि निजी कंपनियों द्वारा दी जाने वाली अतिरिक्त सुविधाएं जैसे ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिक्लेम में यह स्वतः लागू नहीं होगा। उन योजनाओं में शामिल करना या न करना कंपनी की नीति पर निर्भर करेगा।
कर्मचारियों को क्या ध्यान रखना चाहिए?
- केवल वही सदस्य शामिल किए जा सकेंगे जो वास्तव में आर्थिक रूप से आश्रित हों।
- निर्भरता साबित करने के लिए दस्तावेज देने पड़ सकते हैं।
- अगर कर्मचारी की वैवाहिक स्थिति बदलती है, जैसे तलाक या अलगाव, तो सास-ससुर पर लाभ का दावा सामान्यतः समाप्त हो सकता है।
- कर्मचारियों को समय-समय पर अपने नामांकन अपडेट करते रहना होगा ताकि भविष्य में विवाद न हो।
निष्कर्ष
Labour Code News से साफ है कि नए बदलाव कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा का दायरा और मजबूत करेंगे। अब दादा-दादी और सास-ससुर जैसे परिजन भी PF-ESIC Benefits के दायरे में आएंगे। यह कदम उन परिवारों के लिए राहत है जहां जिम्मेदारियां कई पीढ़ियों तक फैली होती हैं।

