भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक से पहले रेपो रेट (Repo Rate) को लेकर चर्चा तेज हो गई है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा (Sanjay Malhotra RBI Governor) ने संकेत दिया है कि ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश अभी भी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हाल के आर्थिक आंकड़े इस संभावना को कम नहीं करते।
रेपो रेट क्या है और क्यों अहम है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक, आरबीआई से शॉर्ट टर्म लोन लेते हैं। जब रेपो रेट घटता है तो बैंकों को सस्ता लोन मिलता है और वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर लोन देते हैं। इसका सीधा असर होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI (Loan EMI Impact) पर पड़ता है।
गवर्नर की टिप्पणी
मल्होत्रा ने कहा कि अक्टूबर में हुई MPC बैठक में भी यह स्पष्ट किया गया था कि ब्याज दरों को कम करने की गुंजाइश है। उन्होंने बताया कि खुदरा महंगाई (Retail Inflation) अक्टूबर में 0.25% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है। खाने-पीने की चीजों की कीमतों में गिरावट और कंज्यूमर गुड्स पर टैक्स कटौती ने महंगाई को नीचे लाने में मदद की है।
भविष्य में क्या हो सकता है?
- 2025 की पहली छमाही में MPC ने कुल 100 आधार अंकों की कटौती की थी, लेकिन अगस्त से यह प्रक्रिया रुकी हुई है।
- अगर महंगाई का परिदृश्य नरम रहता है तो दिसंबर की बैठक में रेपो रेट में और कटौती संभव है।
- गवर्नर की टिप्पणियों के बाद भारत के 10-साल के बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड में थोड़ी कमी दर्ज की गई है।
रुपये की स्थिति
मल्होत्रा ने यह भी कहा कि रुपये में हालिया गिरावट स्वाभाविक है। उन्होंने बताया कि रुपये में 3-3.5% सालाना गिरावट ऐतिहासिक औसत के अनुरूप है। आरबीआई केवल तब हस्तक्षेप करता है जब करेंसी में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है।
निष्कर्ष
अगर दिसंबर में रेपो रेट में कटौती होती है तो इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा। होम लोन और अन्य लोन की EMI कम हो सकती है। हालांकि अंतिम फैसला MPC की बैठक में होगा। फिलहाल गवर्नर की टिप्पणी से यह साफ है कि Repo Rate Cut की संभावना बरकरार है और निवेशक तथा आम ग्राहक दोनों ही इस पर नजर बनाए हुए हैं।

